देव भूमि उत्तराखंड की संस्कृति, खान-पान और दैवीय स्थलों और उत्तराखण्ड के टूरिज्म का परिचय उत्तराखण्ड दर्शन के माध्यम से !

Breaking

(1)प्रदेश सरकार जल्द ही 1000 पटवारियों की भर्ती करने जा रही है। (2) Uttarakhand UBSE Class 12 Board Results 2017 to be Declared on May 30 at uaresults.nic.in (3)अल्‍मोड़ा के चौखुटिया में बादल फटा, दो भवन व आठ मवेशी बहे (4)श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुले, श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में किया स्नान (5)उत्‍तराखंड: टिहरी और अल्मोड़ा में बादल फटा, देहरादून में आंधी से उखड़े पेड़

Friday, May 19, 2017

गैरसैंँण को उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी बनाने के लिए किये गए प्रयासों के बारे में

गैरसैंँण 

ब्रिटिश गढ़वाल के चाँदपुर परगने की लोहबा पट्टी ही वर्तमान गैरसैंण है। इस समय यह चमोली की एक तहसील और विकासखण्ड है। यह दूधातोली और व्यासी पर्वत श्रंखलाओं से घिरा हुआ है और लगभग सम्पूर्ण राज्य के केन्द्र में स्थित है। 60-70 वर्ग किमी. में फैली इस समतल घाटी की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग 5360 फीट है। यहाँ से होकर आटागाड़, पक्षिमी एवं पूर्वी नयार तथा पक्षिमी रागंगा आदि नदियाँ बहती हैं। साथ ही यहाँ स्थान-स्थान पर प्राकृतिक जल स्त्रोत भी हैं। इस क्षेत्र के चारों तरफ गेवाड़, चाँदपुर गढ़ी और बघाँण गढ़ी आदि गढ़ियां स्थित हैं। इस क्षेत्र में बिनसर महादेव धार्मिक स्थल और बेनीताल जैसे प्राकृतिक सौन्दर्य स्थल भी स्थित है।



गैरसैण भारत के उत्तराखण्ड राज्य के केन्द्रीय भाग में स्थित एक ग्राम है जिसे भविष्य में राज्य की राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इस स्थल को वर्ष 1994 में उत्तराखण्ड पृथक राज्य आन्दोलन के दौरान चुना गया था क्योंकि यह स्थान राज्य के दोनो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल के केन्द्र में था।

गैरसैंण व देहरादून से राज्य के विभिन्न नगरों की दूरी इस प्रकार है-

जिले गैरसैंण से दैरी देहरदून से दैरी
     
उत्तरकाशी 266 KM 208 KM
पौडी 150 KM 182 KM
नई टिहरी  202 KM 115 KM
रुद्रप्रयाग 46 KM 186KM
चमोली 95 KM 259 KM
हरिद्धार 255 KM 55 KM
पिथौरागढ़ 280 KM 578 KM
चम्पावत 261 KM 503 KM
बागेश्वर 156 KM 482 KM
अल्मोड़ा 135 KM 409 KM
नैनीताल 155 KM 357 KM
ऊधमसिंह नगर  213 KM 279 KM
देहरादून 272 KM 000 KM

1992 में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने पृथक राज्य के संबंध में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी किया तथा गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी घोषित कर दिया। इस दस्तावेज को उत्तराखण्ड क्रान्ति दल  का ब्लू प्रिंट माना गया।
उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने 24-25 जुलाई 1992 को अपने 14वें महाधिवेशन में बडोनी व काशी सिंह एरी ने गैरसैंण का नाम वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली के नाम पर चन्द्रनगर रखकर राज्य की राजधानी घोषित किया और शिलान्यास भी किया था। 

कौशिक समिति -
1993 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखण्ड राज्य की संरचना और राजधानी पर विचार करने के लिए रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में समिति गठन किया। कौशिक समिति की रिपोर्ट 1994 में अायी जीसके अनूसार तत्कालीन पर्वतीय जिलों को मिलाकर पृथक राज्य और उसकी राजधानी गैरसैंण में बनाने की सिफारिश कियी गयी थी।
1993 में उ.प्र सरकार द्धारा उत्तराखण्ड राज्य की संरचना और राजधानी पर विचार करने के लिए गठित कौशिक समिति ने मई 1994 में अपने रिपोर्ट में राजधानी के लिए गैरसैंण की सिफारिश की और इसका 68% लोगों ने समर्थन किया था।

सन् 1998 में गढ़वाल विश्ववि के मिडिया सेन्टर द्धारा कराए गए सर्वेक्षण में 80% प्रतिशत जनता की राय गैरसैंण को राजधानी बनाने की थी।

उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण को के लेकर सन् 2004 में बाबा मोहन उत्तराखण्डी गैरसैंण सहित 13 स्थानों में कहीं भी राजधानी को स्थापना व कई मुद्दों को लेकर 38 दिनो के आमरण अनशन के बाद 8 अगस्त, 2005 को बेनीताल में शहीद हो गये थे।

दीक्षित अायेग: -

स्थाई राजधानी चयन आयग का गठन भाजपा सरकार ने 11 जनवरी 2001 को किया। किन्तु कुछ ही समय के बाद आयोग को भंग कर दीया गया। और 28 नवम्वर 2002 को कांग्रेस सरकार ने इसे पुनजीवित किया। और अायोग के अध्यक्ष जस्टिस वीरेन्द्र दीक्षित बने। इनकी रिपोर्ट के मुताबीक गैरसैंण को खारिज कर दिया गया और देहरादून को स्थाई राजधानी बनाने की सिफारिश की गई थी। इर रिपोर्ट के बाद पूरे प्रदेश में धरना प्रर्दशन का क्रम चलता रहा। 


राजधानी वीवाद को वीराम देने के लिए मुख्यमंत्री बहुगुणा ने गैरसैंण में 03 नव. 2012 को मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की और विधानसभा की बैठक आयोजित की और विधानसभा भवन बनाने का निर्णय लिया।
और 9 नव, 2013 को भराड़ीसैंण में भूमि पूजन कर के विधानसभा के लिए भनन निर्माण शुरू करया। जो अभी ता निरर्माण धीन है।


यह लेख का शोर्ष परीक्षा वाणी से लीया गया है।

1 comment:

  1. क्या खूब लिखा है आपने। हमारा लेख भी देखें उत्तराखंड की राजधानी

    ReplyDelete