उत्तराखंड की धरती देवी,देवताओ की धरती (देव भूमि ) मानी जाती है यहाँ के लोगो का आज भी अपनी पुरनी मान्यताओं और परम्पराओ मे अटूट विश्वाश है यहाँ लोग सदियों से चली आरही परम्पराओ को आज भी उसी उत्तसाह और लगन से मानते है। जिस तरह ये पहले के समय में मनाई जाती थी1 कहा जाता है की समय के हिसाब से अपनी सहूलियत को देखते हुए लोग अपनी परम्पराओ में आये दिन बदलाव करते रहते है परन्तु उत्तराखंड का ये गॉव आज भी सदियों से चली आ रही यह परम्परा (देवी पूजा ) की रथ यात्रा को उसी दिन और उन्हीं रास्तो(पहाड़ी) से ले जाते है जिस रस्ते से इनके पूर्वजो ने ये रथ यात्रा प्रारम्भ की थी. चलिए जानते है इस रथ यात्रा के बारे में. दोस्तों ये रथ यात्रा 4किमी. की रथ यात्रा खातेड़ा ग्राम सभा से माँ सतचुली धाम तक होती है दोस्तों माँ सतचुली का मंदिर जिस पर्वत पर बना है उसका भी अपने आप मे बहुत महत्तव है। इलाके का सबसे उचा पर्वत होने के साथ साथ यह अपने चारो तरफ पवित्र स्थानों से घिरा है। इस के पूर्व दिशा मे माँ अखिलतार्नि का मंदिर, पश्चिम मे माँ हिंगला देवी का मंदिर, उत्तर मे पंचाचूली,उत्तर पश्चिम मे माँ झूमा धुरी,और दकछिन मे बाबा गोरक नाथ ।
इस पवित्र जगह जाने मे जो आनंद आता है उस का कोई मोल नहीं है । लोग दूर दूर से माँ के पास अपनी मनोकामना ले के आते है । माँ सतचुली के इस मंदिर की अपनी अलग ही महिमा है। मंदिर मे आने के लिए अब सड़क का भी निर्माण् हो चूका है । लोग आशानी से मंदिर तक आ सकते है। सब से उचा पर्वत होने के कारण आप पूरे इलाके को यहाँ से देख सकते है ।
जय माँ सतचुली ।
इस पवित्र जगह जाने मे जो आनंद आता है उस का कोई मोल नहीं है । लोग दूर दूर से माँ के पास अपनी मनोकामना ले के आते है । माँ सतचुली के इस मंदिर की अपनी अलग ही महिमा है। मंदिर मे आने के लिए अब सड़क का भी निर्माण् हो चूका है । लोग आशानी से मंदिर तक आ सकते है। सब से उचा पर्वत होने के कारण आप पूरे इलाके को यहाँ से देख सकते है ।
जय माँ सतचुली ।
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