सुनने में अटपटा जरूर लगेगा, पर सच्चाई यही है। बारा तहसील के कंजासा गांव में क्या बच्चे, क्या जवान और बुजुर्ग, सबकी पैदाइश एक जनवरी है। वर्ष जरूर अलग है। बायोमीटिक पहचान के लिए बने आधार कार्ड तो यही बताते हैं। किसकी चूक है, यह साफ नहीं हो सका है। एसडीएम राजकुमार द्विवेदी का मानना है कि ग्रामीणों की तरफ से जन्म तारीख का साक्ष्य नहीं दे पाने पर यह नौबत आई है।कंजासा गांव की आबादी करीब 12 हजार है। पांच हजार से ज्यादा लोग मतदाता हैं। यहां लोगों को जो आधार कार्ड मिला है, उस पर जन्मतिथि एक जनवरी लिखा हुआ है। प्रधान राम दुलारी, उनके पति जगदीश प्रसाद व बहू मीनू और घर के बच्चों का जन्मदिन एक जनवरी अंकित है। सभी ने सहज जनसेवा केंद्र से अलग अलग महीने में आधार कार्ड बनवाया था। कहां हुई, यह बड़ा सवाल है। सहज जनसेवा केंद्र के एक कर्मचारी कहना है कि जो ग्रामीण आधार कार्ड बनवाने आते हैं, उनको अपनी जन्मतिथि मालूम नहीं होती, ऐसे में कुछ लोगों के कार्ड में जन्म की तारीख एक जनवरी डाल दी गई। वैसे कर्मी की यह सफाई गले नहीं उतरती। एक बार मान भी लिया जाए कि पुराने लोगों की जन्मतिथि नहीं मालूम लेकिन जो बच्चे हैं उनके आधार कार्ड में गलती क्यों हुई। एसडीएम का कहना है कि कंजासा गांव में करीब 10 हजार लोगों की जन्मतिथि एक जनवरी होने के कारण को पता किया जाएगा। शिकायत रही बेमतलब आधार कार्ड में जन्म की तारीख गलत दर्ज होने की शिकायत ग्रामीणों ने ब्लाक स्तरीय अधिकारियों से की, पर वहां उनकी सुनवाई नहीं हुई। आधार’ बनाने में यह लापरवाही पिछले सप्ताह बारा तहसील के कंजासा में तब उजागर हुई थी जब गांव के कई बच्चे प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश के लिए पहुंचे थे। हेड मास्टर अनिल भारद्वाज यह देखकर चौंक गए कि सभी के आधार कार्ड पर जन्मतिथि एक जनवरी अंकित है। उन्होंने जानकारी के लिए अपने एक परिचित को गांव भेजा। वहां से जो जानकारी मिली, वह हैरान करने वाली थी। आधार कार्ड के आधार पर पूरा का पूरा गांव ही एक जनवरी को पैदा हुआ है। बस वर्ष जरूर अलग है। सभी कार्ड सहज जनसेवा केंद्र पर बनाए गए थे।
खबर दैनिक जागरण से
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