देव भूमि उत्तराखंड की संस्कृति, खान-पान और दैवीय स्थलों और उत्तराखण्ड के टूरिज्म का परिचय उत्तराखण्ड दर्शन के माध्यम से !

Breaking

(1)प्रदेश सरकार जल्द ही 1000 पटवारियों की भर्ती करने जा रही है। (2) Uttarakhand UBSE Class 12 Board Results 2017 to be Declared on May 30 at uaresults.nic.in (3)अल्‍मोड़ा के चौखुटिया में बादल फटा, दो भवन व आठ मवेशी बहे (4)श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुले, श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में किया स्नान (5)उत्‍तराखंड: टिहरी और अल्मोड़ा में बादल फटा, देहरादून में आंधी से उखड़े पेड़

Monday, April 3, 2017

माँ पूर्णागिरि मन्दिर

माँ पूर्णागिरि मन्दिर
भारत के उत्तराखण्ड प्रान्त के चम्पावत जिले में अन्नपूर्णा शिखर पर 5500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है।
यह108 सिद्ध पीठों में से एक है। यह स्थान महाकाली की पीठ माना जाता है। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहाँ पर विष्णु चक्र से कट कर गिरा था।


कथा

यह स्थान जिला चम्पावत से 75 कि॰मी॰की दूरी पर तथा टनकपुर से मात्र 25 कि॰मी॰की दूरी पर स्थित है। इस देवी दरबार की गणना भारत की 51 शक्तिपीठों में की जाती है। शिवपुराण में रूद्र संहिता के अनुसार दश प्रजापति की कन्या सती का विवाह भगवान शिव के साथ किया गया था। एक समय दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें समस्त देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया परन्तु शिव शंकर का अपमान करने की दृष्टि से उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। सती द्वारा अपने पति भगवान शिव शंकर का अपमान सहन न होने के कारण अपनी देह की आहुति यज्ञ मण्डप में कर दी गई। सती की जली हुई देह लेकर भगवान शिव शंकर आकाश में विचरण करने लगे भगवान विष्णु ने शिव शंकर के ताण्डव नृत्य को देखकर उन्हें शान्त करने की दृष्टि से सती के शरीर के अंग पृथक-पृथक कर दिए। जहॉ-जहॉ पर सती के अंग गिरे वहॉ पर शान्ति पीठ स्थापित हो गये। पूर्णागिरी में सती का नाभि अंग गिरा वहॉ पर देवी की नाभि के दर्शन व पूजा अर्चना की जाती है।

मेला

चैत्र मास की नवरात्रियों से जून तक श्रद्धालुओं की अपार भीड दर्शनार्थ आती है। चैत्र मास की नवरात्रियों से दो माह तक यहॉ पर मेले का आयोजन किया जाता है पूर्णागिरी मे वर्ष भर तीर्थयात्रियो का भारत के सभी प्रान्तो से आना लगा रहता है। विसेशकर नवरात्री (मार्च-अप्रिल) के महीने मे भक्त अधिक मात्रा मे यहा आते है। भक्त यहा पर दर्शनो के लिये भक्तिभाव के साथ पहाड पर चढाई करते है। पूर्णागिरी पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है। यहा से काली नदी निकल कर समतल की ओर जाती है वहा पर इस नदी को शारदा के नाम से जाना जाता है। इस तीर्थस्थान पर पहुचने के लिये टनकपुर से ठूलीगाड तक आप वाहन से जा सकते हैं। ठूलीगाड से टुन्यास तक सडक का निर्माण कार्य प्रगति पर होने के कारण पैदल ही बाकी का रास्ता तय करना होता है। ठूलीगाड से बांस की चढाई पार करने के बाद हनुमान चट्टी आता है। यहां से पुण्य पर्वत का दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा दिखने लगता है। यहां से अस्थाई बनाई गयी दुकानें और घर शुरू हो जाते हैं जो कि टुन्यास तक मिलते हैं। 


कैसे पंहुचा जाये 

यहाँ आने के लिये आप सड्क या रेल के द्वारा पहुच सकते है। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है। रेल निर्माण कार्य चल रहा है जो यहाँ से 25 कि॰ मी॰ है। सड़क से यहाँ आने के लिये मोटर मार्ग ठूलीगाड तक है जोकि टनकपुर से 14 कि॰ मी॰ है। वायु मार्ग से आने के लिए यहाँ का निकटतम हवाई अड़डा पन्तनगर है जो कि खटीमा नानकमत्त्था के रास्ते 121 कि॰ मी॰ की दूरी पर है।




Blogger link = udarshan.blogspot.com
Facbook page= https://www.facebook.com/ukdarshan/?ref=aymt_homepage_panel

No comments:

Post a Comment